COVID -19 तीन टीको पर टिकी है सबकी नजर

 कोरोना महामारी ओर वेक्सीन

सोमवार को ही न्यूज़ आई थी जिसमें कहा गया है कि लंदन की एक लैब में कोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया है, इस कि खुशी अभी कम भी नहीं हुई थी कि आज ही पता चला है दुनिया की तीन और लेब में कोरोना वैक्सीन का निर्माण अंतिम चरण में चल रहा है । 

आइए जानते हैं वह कौन-कौन सी लैब है जहां से बनने वाले इन वेक्सिनो के बारे में कभी भी शुभ समाचार मिल सकता है।

चीन से SINOVAC

वैक्सीन बनाने की दौड़ में सबसे पहले चाइना की सायनोवेक लैब है,  इस में बनने वाले टीके का परीक्षण अंतिम चरण में चल रहा  है  । इस लैब ने अपने वैक्सिंन का परीक्षण खाड़ी देशों में सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया है तथा जल्दी कंपनी बांग्लादेश और पूर्वी एशिया के देशों में परीक्षण शुरू करने वाली है । परीक्षण से मिलने वाले नतीजों पर ही इसके परिणाम निर्भर करते हैं लेकिन कंपनी का मानना है कि अभी तक हुए सभी परीक्षणों में वेक्सीन ने अच्छा रिजल्ट दिखाया है और कंपनी पूरी तरह से आश्वस्त है के इस साल के सितम्बर या  अंत तक वह अपना वैक्सीन बाजार में उतार देगी।

Oxford University

 सबसे चर्चित और जाना पहचाना नाम जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई है और यहीं से सोमवार को सकारात्मक समाचार मिला था। वैक्सीन बनाने की दौड़ में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी सबसे आगे नजर आ रही है यूनिवर्सिटी ने अपने प्रारंभिक ट्रायल्स पूरे कर लिए हैं और फाइनल ट्रायल के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के कुछ देशों में ट्रायल्स करने के बारे में सोच रहे हैं।
 अगर सभी ट्रायल समय पर पूरे हो जाते हैं तो यह टीका भी इस वर्ष के अंत तक बाजारों में उपलब्ध हो जाएगा। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एस्ट्रेजनेका लैबोरेट्रीज के साथ मिलकर वैक्सीन का निर्माण कर रही है हाल-फिलहाल तक सबसे विश्वसनीय और कारगर वैक्सिंन के तौर पर इसी टीके को देखा जा रहा है। यूनिवर्सिटी भी इस टीके की सफलता के प्रति पूर्ण रूप से आश्वस्त नजर आ रही है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रेजनेका दोनों को विश्व की कई नामी संस्थाएं एवं उद्योगपति फण्ड दे रहे हैं।  ब्रिटेन की सरकार भी नियमों को आसान बना कर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के टीके को फंडिंग कर रही है।

 ऑस्ट्रेलिया

 University of Melbourne ने हालाकी कोई नया टीका तो नहीं बनाया है लेकिन टीबी की बीमारी में इस्तेमाल होने वाले 100 साल पुराने टीके को संशोधित कर कर एक नया वैक्सीन बनाने का दावा किया है। जिसकी सफलता की दर भी काफी अच्छी मानी जा रही है कंपनी फास्ट ट्रेक प्रोसेस के तौर पर इस टीके का परीक्षण कर रही है। अगर पुरानी प्रोसेस से इस टीके का निर्माण किया जाता तो इसे बनने में 1 से 4 वर्ष लग सकते थे लेकिन फास्टट्रैक प्रोसेस से ह्यूमन ट्रायल प्रोसेस को बहुत तेज गति से करते हुए इस वर्ष के अंत तक इस टीके का बाजार में आना निश्चित नजर आ रहा है। सबसे अच्छी बात इस टीके के बारे में यह है कि इस टीके में इस्तेमाल होने वाली दवा पूर्व में प्रचलित है तथा टीवी के इलाज में काफी कार्य कर रही है उसी दवा को संशोधित कर कर यह मानव शरीर में कोरोना वायरस के प्रति इम्मयून सिस्टम को बढ़ाकर एंटीबॉडी का निर्माण करती है जो कोरोना वायरस को शरीर में बहुत जल्दी नष्ट कर देता है । ऑस्ट्रेलिया की सरकार भी इस टीके के परिणाम से काफी खुश हैं और उनका मानना है कि अभी तक बनने वाले सभी टीको में यह सबसे किफायती और अच्छा परिणाम देने वाला वेक्सीन साबित होगा।

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